The Greatest Guide To Shodashi

Wiki Article



एकान्ते योगिवृन्दैः प्रशमितकरणैः क्षुत्पिपासाविमुक्तैः

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥

Goddess is popularly depicted as sitting down around the petals of lotus that is retained about the horizontal physique of Lord Shiva.

साम्राज्ञी चक्रराज्ञी प्रदिशतु कुशलं मह्यमोङ्काररूपा ॥१५॥

When Lord Shiva read in regards to the demise of his spouse, he couldn’t Command his anger, and he beheaded Sati’s father. Nevertheless, when his anger was assuaged, he revived Daksha’s lifetime and bestowed him using a goat’s head.

It is actually an experience of your universe within the unity of consciousness. Even inside our common point out of consciousness, Tripurasundari is definitely the splendor that we see in the world all-around us. No matter what we perceive externally as wonderful resonates deep inside of.

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने get more info पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

ह्रीं‍श्रीर्मैं‍मन्त्ररूपा हरिहरविनुताऽगस्त्यपत्नीप्रदिष्टा

देवस्नपनं मध्यवेदी – प्राण प्रतिष्ठा विधि

By embracing Shodashi’s teachings, people cultivate a existence enriched with objective, love, and relationship to your divine. Her blessings remind devotees on the infinite splendor and knowledge that reside in just, empowering them to Dwell with authenticity and joy.

हंसोऽहंमन्त्रराज्ञी हरिहयवरदा हादिमन्त्रार्थरूपा ।

Cultural events like folks dances, new music performances, and plays can also be integral, serving to be a medium to impart regular tales and values, In particular to the more youthful generations.

इति द्वादशभी श्लोकैः स्तवनं सर्वसिद्धिकृत् ।

श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१०॥

Report this wiki page